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प्राकृतिक खेती पर सरकार खर्च करेगी 2500 करोड़ रुपए, किसानों को होगा लाभ

जानें, क्या है केंद्र सरकार की योजना और इससे किसानों को लाभ

प्राकृतिक या जैविक खेती को लेकर सरकार किसानों के लिए एक नई योजना लाने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि इस योजना पर सरकार करीब 2500 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस नई केंद्रीय योजना को लेकर कृषि मंत्रालय इसे पेश करने की तैयारी में जुटा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्तावित नई योजना को जल्द मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए रखा जाएगा। इसे मंजूरी मिलने पर इसे लागू किया जाएगा। इससे किसानों को काफी लाभ होगा और देश में प्राकृतिक या जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। 

प्राकृतिक खेती से मिल सकते हैं बेहतर उत्पाद

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में गुजरात में प्राकृतिक खेती पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि उर्वरक और कीटनाशक आधारित खेती के विकल्प की तलाश करने की जरूरत है। पीएम मोदी ने कहा था कि प्राकृतिक खेती अधिक बेहतर उत्पाद ला सकती है जिनका कोई ‘साइड इफेक्ट’ नहीं होता है। इसके बाद ही ये योजना लाई जा रही है। अधिकारी ने कहा, ‘‘हितधारकों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद प्राकृतिक खेती पर एक योजना का मसौदा तैयार किया गया है। इस योजना का मकसद खेती की मौजूदा प्रणाली को बाधित किए बिना प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना है।’’

प्राकृतिक खेती को लेकर आम बजट 2022 में विशेष प्रस्ताव

अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित योजना के तहत प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों, उनके उत्पादों के विपणन के लिए सहयोग दिया जाएगा। इसके अलावा उन्हें विस्तारित सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी। बता दें कि सरकार ने आम बजट 2022 में देशभर में रसायन-मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की घोषणा की थी। इसकी शुरुआत गंगा नदी के साथ पांच किलोमीटर के गलियारे वाले खेतों के साथ होनी थी।

क्या है प्राकृतिक खेती/जैविक खेती (Natural Farming)

प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते है, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में काम में लिया जाता है। प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों के रूप में गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे- रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं। प्राकृतिक खेती में प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र कीट और जैविक कीटनाशक द्वारा फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है। 

भारत में प्राकृतिक/जैविक खेती की आवश्यकता

पिछले कई सालों से खेती में नुकसान देखने को मिल रहा है। इस का प्रमुख कारण रायायनिक खाद और कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग करना है। इससे एक तरफ खेती की लागत बढ़ती जा रही है और दूसरी ओर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन में कमी आ रही है जिसका सीधा प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। आज देश के लोग कीटनाशक युक्त फल, सब्जियों और अनाज खा रहे हैं जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। प्राकृतिक खेती से गुणवत्तापूर्व उत्पादन मिलने के साथ ही लोगों खेती की लागत में भी कमी की जा सकती है। वहीं रायानिक खादों और कीटनाशकों के अधिक उपयोग से भूमि की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित हो रही है। इसका परिणाम सामने है आज खेती योग्य भूमि घटती जा रही है और कई खेत बंजर हो चले हैं।  

प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभ

प्राकृतिक खेती से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। प्राकृतिक खेती से उत्पादन लागत घटने के साथ ही बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इससे मिलने वाले लाभ इस प्रकार से हैं-

•    भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है।
•    सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है।
•    रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।
•    जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है।
•    भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है।
•    फसल उत्पादन की लागत में कमी आती है जिससे किसान की आय में बढ़ोतरी होगी। 

प्राकृतिक खेती या जैविक का क्या है तरीका

प्राकृतिक खेती पद्धति में खेतों की जुताई नहीं की जाती है। बिना जुताई किए ही खेत में फसल की बुवाई कर दी जाती है। ऐसा माना जाता है धरती अपनी जुताई स्वयं स्वाभाविक रूप से पौधों की जड़ों के प्रवेश तथा केंचुओं व छोटे प्राणियों, तथा सूक्ष्म जीवाणुओं के जरिए कर लेती है। जैविक खेती में किसी भी प्रकार का रासायनिक उर्वरक या खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस पद्धति में हरी खाद और गोबर की खाद को ही उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा निंदाई-गुड़ाई भी नहीं की जाती है और न ही शाकनाशियों का प्रयोग किया जाता है। खरपतवार मिट्टी को उर्वर बनाने तथा जैव-बिरादरी में संतुलन स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जैविक या प्राकृतिक खेती का बुनियादी सिद्धांत यही है कि खरपतवार को पूरी तरह समाप्त करने की बजाए नियंत्रित किया जाना चाहिए।  

AJAY YADAV

AGRICOP KISAANI

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