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फसलों के लिए खतरा बनी मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की कमी

रामपुर में रबी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में कमी के संके त मिल रहे हैं। इसकी मुख्य मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की भारी कमी है। पिछले पांच साल में चली मृदा परीक्षण अभियान की रिपोर्ट खंगाली गई तो यह खुलासा हुआ। मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए गांव- गांव बर्मी कंपोस्ट इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। आर्गेनिक कार्बन मिशन का भी गठन किया जाएगा।

2017 से 2019 तक अभियान चलाकर हर खेत की मिट्टी के नमूने लेकर परीक्षण किया गया। पिछले पांच साल की रिपोर्ट खंगाली गई तो पता चला कि पता चला की पूरे जनपद की मिट्टी से जीवांश कार्बन गायब हो चुका है। यहां की मिट्टी में बमुश्किल से 0.4 प्रतिशत ही जीवांश कार्बन बचा है। जबकि, स्वस्थ्य मिट्टी का मानक 0.8 प्रतिशत है। यानी जीवांश कार्बन की आधी मात्रा घट गई। खेतों में जो उर्वरक डाले जा रहे हैं या सिंचाई के लिए जितने जल का प्रयोग किया रहा है उनमें से ज्यादातर बेकार जा रहा है। इसलििए फसलों का उत्पादन घट रहा है।

क्या है जैविक कार्बन

वातावरण में मुक्त कार्बन डाई ऑक्साइड को पौधे कार्बन के जैविक रूप जैसे शर्करा, स्टार्च, सेल्यूलोज आदि कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित करते हैं। इस प्रकार प्राकृतिक रूप से पौधों की जड़ों व अन्य पादप अवशेषों में मौजूद कार्बन इन अवशेषों के विघटन के बाद मृदा कार्बन के रूप में संचित होता है। इसे ही मृदा जैविक या जीवांश कार्बन कहा जाता है।

जैविक कार्बन के महत्व

कार्बन पदार्थ कृषि के लिए बहुत लाभकारी है, क्योंकि यह भूमि को सामान्य बनाए रखता है। यह मिट्टी को ऊसर, बंजर, अम्लीय या क्षारीय होने से बचाता है। जमीन में इसकी मात्रा अधिक होने से मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक ताकत बढ़ जाती है तथा इसकी संरचना भी बेहतर हो जाती है। साथ ही जल को अवशोषित करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

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ऐसे सुधरेगी मिट्टी की सेहत

अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को रोक लगाए जाएगी। कंपोस्ट . बर्मी कंपोस्ट और हरी खाद के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए। धान के बाद गेहूं वाले फसल चक्त्र में बदलाव किया जाए और फसल अवशेषों को जलाने की परम्परा को कड़ाई से रोका जाए।

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अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से मिट्टी में मौजूद कार्बन की मात्रा सबसे खतरनाक न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। इसमें सुधार के लिए गांवों में बर्मी कंपोस्ट इकाइयों की स्थापना कराई जा रही है। कोरोना के चलते दो साल से बर्मी कंपोस्ट का कार्य रुक गया था जो पुन: शुरू किया जाएगा। किसानों को रसायनिक उर्वरकों के बजाए हरी, कंपोस्ट और बर्मी खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है।

अशोक कुमार यादव उप कृषि निदेशक

AJAY YADAV

AGRICOP KISAANI

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