प्राकृतिक खेती पर सरकार खर्च करेगी 2500 करोड़ रुपए, किसानों को होगा लाभ

जानें, क्या है केंद्र सरकार की योजना और इससे किसानों को लाभ प्राकृतिक या जैविक खेती को लेकर सरकार किसानों के लिए एक नई योजना लाने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि इस योजना पर सरकार करीब 2500 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस नई केंद्रीय योजना को लेकर कृषि मंत्रालय इसे पेश करने की तैयारी में जुटा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्तावित नई योजना को जल्द मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए रखा जाएगा। इसे मंजूरी मिलने पर इसे लागू किया जाएगा। इससे किसानों को काफी…

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फसलों के लिए खतरा बनी मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की कमी

रामपुर में रबी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में कमी के संके त मिल रहे हैं। इसकी मुख्य मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की भारी कमी है। पिछले पांच साल में चली मृदा परीक्षण अभियान की रिपोर्ट खंगाली गई तो यह खुलासा हुआ। मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए गांव- गांव बर्मी कंपोस्ट इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। आर्गेनिक कार्बन मिशन का भी गठन किया जाएगा। 2017 से 2019 तक अभियान चलाकर हर खेत की मिट्टी के नमूने लेकर परीक्षण किया गया। पिछले पांच साल की रिपोर्ट खंगाली गई तो पता चला कि पता चला की पूरे जनपद की मिट्टी…

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बजट से बदलेगी कृषि प्रधान समस्तीपुर में खेती की दिशा

समस्तीपुर। जिले के लिए बजट 2022 मील का पत्थर साबित हो सकता है। छह सूत्री आधारित बिहार के पेश किये गये बजट में कृषि पर फोकस किया गया है जिससे कृषि प्रधान जिला होने के कारण इसका पूरी तरह से समस्तीपुर को जिले के किसानों को लाभ मिलेगा। विदित हो कि कृषि के क्षेत्र में वित्त वर्ष 2022-23 में 29 हजार 749 करोड़ रुपए कृषि का बजट है। इसका लाभ कृषि से जुड़े लोगों को होगा। किसानों के हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए चार विभागों को अलग से पैसा दिया गया है। जल संसाधन, लघु जल संसाधन, सहकारिता…

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रासायनिक खाद का इस्तेमाल ऐसे ही बढ़ता रहा तो देश में 50 फीसदी तक बढ़ जाएंगे कैंसर के मरीज: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि यदि रासायनिक खाद का इस्तेमाल इसी तादाद में बढ़ता रहा तो आने वाले 10-15 वर्षों में कैंसर के मामलों में 50 प्रतिशत तक वृद्धि हो जाएगाी। उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र गांधीनगर के 50 फीसदी किसानों से रासायनिक खाद को त्यागकर प्राकृतिक रूप से खेती करने का आह्वान किया। खतरनाक भविष्य की ओर बढ़ रही भारत की खेतीशाह ने कहा कि भारत की खेती खतरनाक भविष्य की ओर बढ़ रही है। रासायनिक खाद के इस्तेमाल से देश की मिट्टी बंजर होती जा रही है। अत्यधिक रसायनों के इस्तेमाल से जमीन का…

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टमाटर के पौधे की वृद्धि, उत्पादकता और मिट्टी पर समुद्री शैवाल के अर्क का प्रभाव

इस अध्ययन ने भूरे शैवाल दुरविलिया पोटैटोरम और एस्कोफिलम नोडोसम से बने समुद्री शैवाल के अर्क (एसडब्ल्यूई) के प्रभावों की जांच की।पौधों और मिट्टी पर। मिट्टी उगाने वाले टमाटर के पौधों पर SWE के अनुप्रयोग ने दोहरा प्रभाव दिखाया। SWE ने टमाटर के पौधे की वृद्धि (फूलों के समूह, फूलों की संख्या, फलों की संख्या, जड़ की लंबाई, जड़ और अंकुर के सूखे वजन, SPAD) में व्यापक सुधार किया और पौधों की उत्पादकता (उपज और गुणवत्ता) में वृद्धि की। इसी तरह, SWE अनुप्रयोग ने मिट्टी के मूल क्षेत्र में मिट्टी के जीव विज्ञान को प्रभावित किया, कुल जीवाणुओं की संख्या और उपलब्ध मृदा नाइट्रोजन को बढ़ाकर और मिट्टी…

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गन्ने की खेती : सम्पूर्ण जानकारी

गन्ना ( Saccharum officinarum ) जैविक खाद का बेसल अनुप्रयोग:1. अंतिम जुताई से पहले 12.5 टन/हेक्टेयर या 25 टन/हेक्टेयर खाद या फिल्टर प्रेस मिट्टी 37.5 टन/हेक्टेयर पर डालें। 2. आर्द्रभूमि में इसे खाइयों के साथ लगाया जा सकता है और अच्छी तरह से शामिल किया जा सकता है। उर्वरक का बेसल अनुप्रयोग यदि मिट्टी परीक्षण नहीं किया जाता है, तो एनपीके @ 300:100:200 किग्रा / हेक्टेयर की कंबल सिफारिश का पालन करें, फरो के साथ सुपर फॉस्फेट (625 किग्रा / हेक्टेयर) लगाएं और हाथ की कुदाल से डालें।जिंक और आयरन की कमी वाली मिट्टी में 37.5 किग्रा जिंक सल्फेट/हेक्टेयर और 100 किग्रा…

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सिंचाई के प्रकार व सटीक सिंचाई: खेती में एक अप-टू-डेट दृष्टिकोण

सटीक सिंचाई: खेती में एक अप-टू-डेट दृष्टिकोण प्रकाश और गर्मी के साथ-साथ पानी पौधों की वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। कुछ कृषक भाग्यशाली होते हैं जो लगातार बारिश वाले क्षेत्रों में काम करते हैं और इस प्रकार पानी की आपूर्ति प्रदान करने के लिए पर्याप्त वर्षा होती है। हालाँकि, इसकी कमी को नियमित रूप से पूरा करने के लिए अधिकांश भूमि को कृत्रिम रूप से सिंचित करना पड़ता है, दुनिया भर में ड्रिप सिंचाई की मांग है। सिंचाई के चार प्रमुख प्रकार मौजूद हैं: 1. सतही सिंचाई। पानी प्राकृतिक रूप से बहता है और गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुपालन में…

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सटीक प्रौद्योगिकियों के साथ फसल उपज में वृद्धि

कृषि के अस्तित्व के दौरान, किसानों के लिए रुचि का मुख्य मुद्दों में से एक फसल की उपज बढ़ाने का मुद्दा था। प्रति एकड़ फसल की उपज बढ़ाने के सर्वोत्तम तरीके क्या हैं? फसल की पैदावार को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? हाल ही में, दुनिया की जनसंख्या की निरंतर वृद्धि को देखते हुए, यह मुद्दा अधिक से अधिक प्रासंगिक होता जा रहा है। हालांकि, कृषि किसानों के लिए नई चुनौतियों के उभरने के साथ, नए तरीके और प्रौद्योगिकियां भी सामने आ रही हैं जिन्हें उन्हें जवाब देने के लिए कहा जाता है। यह लेख इस बारे में है: उत्पादक अपने…

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अगेती सरसों की खेती करने की बना रहें योजना तो बंपर पैदावार देने वाली किस्मों की कर लें व्यवस्था

किसानों के लिए सरसों की खेती मुनाफे का सौदा है. इस बार सरसों की जबरदस्त कीमत मिली है और पूरे साल भाव उच्चतर स्तर पर बने रहे. इस बार मिली अच्छी कीमत को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि आगामी सीजन में सरसों की पैदावार में भारी बढ़ोतरी होगी. कुछ किसान अगेती सरसों की खेती की तैयारी शुरू कर चुके हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुवांशिकी संस्थान के कृषि विशेषज्ञ डॉ नवीन सिंह कहते हैं कि जिन्हें फरवरी माह में गन्ना, अगेती सब्जियां और जनवरी में प्याज व लहसून की खेती करना चाहते हैं, ऐसे किसान अपनी…

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भविष्य में भारत में भी इस्तेमाल होंगे हाईटेक कृषि उपकरण

चित्रों में देखें जरा सोचिए उन सभी बड़ी मशीनों की तुलना में हाथ से काम करने वाला भारतीय किसान आज का कैसे बराबरी कर पायेगा। यह तो वही बात है कि कोई कैलक्यूलेटर से बहुत बड़ा सवाल सेकंडों में हल करे और कोई पेन पेपर लेकर दिन भर जोड़ता घटाता रहे।

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रबी सीजन, चुनाव आगे: आयात में गिरावट के बाद उर्वरक स्टॉक खत्म

डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी), म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) और अन्य प्रमुख गैर-यूरिया उर्वरकों के स्टॉक में तेजी से गिरावट आई है। यह अक्टूबर-नवंबर में होने वाले रबी रोपण सीजन और उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आता है। उर्वरक विभाग के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 31 अगस्त को देश में डीएपी स्टॉक केवल 21.59 लाख टन (एलटी) था, जबकि 2020, 2019 और 2018 के समान दिन क्रमशः 46.85 Lt, 62.48 Lt और 45.05 Lt था।एमओपी स्टॉक इसी तरह से घटकर 10.12 Lt हो गया है, जो कि 2020, 2019 और…

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कृषिविज्ञान: मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए उर्वरक में गुड़ या सीरा का प्रयोग

कृषिविज्ञान मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए उर्वरक में गुड़ का प्रयोग सैकड़ों वर्षों से, दुनिया भर में बड़ी और स्वस्थ फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए शीरे का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता रहा है। ज़ूक मोलासेस में, हम उर्वरक के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए शीरे की पेशकश करते हैं जिसका उपयोग किसान देश भर में करते हैं । मिट्टी में गुड़ मिलाने से मिट्टी के जीवाणु स्वास्थ्य में सुधार होता है, इस प्रकार पौधों को उर्वरक के प्रति अधिक ग्रहणशील होने और सामान्य रूप से हीदर होने की अनुमति मिलती है। पशुओं के चारे के लिए हमारे शीरे के साथ , यह…

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किसानों से सीएम योगी का वादा, जल्द बढेंगे गन्ने के दाम, फसल अवशेष जलाने के दर्ज केस होंगे वापस

किसानों को अन्नदाता बताते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के किसानों से कई वादे किए हैं। मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित किसान संवाद में सीएम ने गन्ने का रेट बढ़ाने, फसल अवशेष जलाने के मामले में दर्ज केस वापस लेने के साथ ही बिजली के बकाए पर कनेक्शन न काटे जाने समेत कई वादे किए। लखनऊ (यूपी)। उत्तर प्रदेश में लाखों गन्ना किसानों को जल्द अच्छी खबर मिल सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जल्द गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं। इसके साथ मुख्यमंत्री ने पिछले वर्षों में फसल अवशेष जलाने के आरोप में किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने…

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काले गेहूं की खेती करने का तरीका, उपज, बीज दर, साधारण गेहूं और काले गेहूं में अंतर

काले गेहूं की बुवाई समय से एवं पर्याप्त नमी पर करना चाहिए. देर से बुवाई करने पर उपज में कमी होती है. जैसे-जैसे बुवाई में विलम्ब होता जाता है, गेहूं की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है. दिसंबर में बुवाई करने पर गेहूं की पैदावार 3 से 4 कु0/ हे0 एवं जनवरी में बुवाई करने पर 4 से 5 कु0/ हे0 प्रति सप्ताह की दर से घटती है. गेहूं की बुवाई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है. काले गेहूं की उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है. इसकी उपज…

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ऑर्गेनिक खेती क्या होती है | ऑर्गेनिक या जैविक खेती कैसे करे | Organic Farming in Hindi

ऑर्गेनिक या जैविक खेती करने से सम्बंधित जानकारी हम सभी जानते है कि भारत एक विशाल देश है और यहाँ की लगभग 60 से 70 प्रतिशत जनसँख्या अपनी आजीविका निर्वहन के लिए कृषि कार्यों पर निर्भर है| हालाँकि आज से कुछ दशक पहले की जानें वाली खेती और वर्तमान में खेती करनें की प्रक्रिया में एक बहुत बड़ा अंतर है| स्वतंत्रता से पूर्व भारत में की जानने वाली खेती में किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थो का उपयोग नहीं किया जाता था, परन्तु जनसँख्या विस्फोट के कारण अन्न की मांग बढ़नें लगी और धीरे-धीरे लोगो नें कृषि उत्पादन बढ़ानें के लिए…

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धान की खेती की पूरी जानकारी, कैसे कम करें लागत और कमाएं ज्यादा मुनाफा

धान भारत की मुख्य फसल है। मुख्यतौर पर ये मॉनसून की खेती है लेकिन कई राज्यों में धान सीजन में दो बार होता है। आपको धान की नर्सरी लेकर रोपाई तक A टू Z जानकारी दे रहा है... करेंं तैयारी। धान, भारत समेत कई एशियाई देशों की मुख्य खाद्य फसल है। इतना ही नहीं दुनिया में मक्का के बाद जो फसल सबसे ज्यादा बोई और उगाई जाती है वो धान ही है। करोड़ों किसान धान की खेती करते हैं। खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान लगभग पूरे भारत में लगाई जाती है। अगर कुछ बातों का शुरु से ही ध्यान…

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धान की फसल में कीट व रोगों पर कैसे नियंत्रण करें? आइए जानते हैं

भारत में धान का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन दुनिया के कई देशों से काफी कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह है धान की फसल में लगने वाले कीट व रोगों का सही समय पर नियंत्रण नहीं होना। वहीं, दुनियाभर में धान की फसल में लगने कीट तथा रोगों के प्रकोप से सालाना लगभग 10 से 15 फीसदी उत्पादन कम होने का अनुमान है। ऐसे में सही समय पर फसल में कीट व रोगों की पहचान करके इनका नियंत्रण करना आवश्यक होता है। गौरतलब है कि धान की फसल को मुख्यतः चार तरह के सूक्ष्म जीव जैसे कवक, जीवाणु, वायरस तथा…

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मृदा संरक्षण के तरीके और कार्यान्वयन के लाभ

इस प्रकार, मृदा संरक्षण रणनीतियाँ पर्यावरण और संसाधनों की स्थिरता में बहुत योगदान देती हैं। मृदा संरक्षण क्या है और यह किस पर केंद्रित है? मृदा संरक्षण विशेष रूप से क्षरण, क्षरण और कमी से बचने के लिए कृषि तकनीकों और प्रथाओं का एक समूह है । मृदा संरक्षण के तरीके भविष्य के विचार के साथ दीर्घकालिक उपयोग को लक्षित करते हैं। उचित और समय पर कार्रवाई करके, किसान आने वाले वर्षों के लिए अपने खेतों के प्रदर्शन को बढ़ावा देते हैं। मिट्टी के संरक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण-समुदायों में रहने वाली अपनी जैव विविधता को बनाए रखना है जो अपने तरीके से इसकी उर्वरता में योगदान करते…

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उत्तर प्रदेश में जैविक खेती बढ़ाने के लिए अपने सुझाव / विचार साझा करें

ऑर्गेनिक फार्मिंग’ जैविक खेती कृषि की वह पद्धति है, जिसमें पर्यावरण को स्वच्छ प्राकृतिक संतुलन को कायम रखते हुए भूमि, जल एवं वायु को प्रदूषित किये बिना दीर्घकालीन व स्थिर उत्पादन प्राप्त किया जाता है। इस पद्धति में रसायनों का उपयोग कम से कम व आवश्यकतानुसार किया जाता है। दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में, उत्तर प्रदेश को एक जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाला राज्य बनाने का राज्य सरकार का प्रयास है। उत्तर प्रदेश में जैविक खेती बढ़ाने के लिए अपने सुझाव / विचार साझा करें।

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किसानो की आय को दोगुना करना – रणनीति एवं प्रगति की एक झलक

–  श्री राधा मोहन सिंह, कृषि तथा किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार किसान देश की जीवन रेखा हैं और किसी भी देश का विकास उसके कृषि क्षेत्र के विकास के बिना अधूरा है ।  देश की खाद्य सुरक्षा को सतत आधार पर सुनिश्‍चित करने का श्रेय हमारे किसानों को ही जाता है । आज वस्तुस्तिथि यह है कि भारत न केवल बहुत से कृषि उत्‍पादों में आत्‍म निर्भर व् आत्म संपन्न है वरन बहुत से उत्‍पादों का निर्यातक भी है इन सत्यो के साथ यह भी सच है कि किसान अपने उत्‍पादों का लाभकारी मूल्‍य नहीं पाते हैं। अत: सरकार…

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